" रुक गया सैलाब का पानी ,हवा के एक झोंका से,
"रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "
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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है
"रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "
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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है
आपकी पोस्ट 31 - 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
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--- विश्रिन्खलित शब्द- स्थितियां है...
ReplyDelete१-झोंका की बजाय...झोंके होना चाहिए...
२. सैलाब ..ही काफी है ...पानी कहने की आवश्यकता नहीं है...
३. अब लहरें कहाँ से आगईं ..
---कौन जागने लगा---ख्व्वाब ?... वे कब सोते-जागते हैं..
---------- मूलतः कविता के लिए शब्दों के सही अर्थ, भावों की स्पष्टता एवं प्रस्तुति के स्थान का ख्याल रखना बहुत आवश्यक है..... सिर्फ कोई भी कथ्य कविता नहीं होता ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति ,,,,बधाई रजनी जी,,
ReplyDeleterecent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
बढ़िया...
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