Saturday, July 9, 2011

मंजिल मिले ना मरघट का पता

हमसे ना पूछो इस राह को क्या कहते हैं,

मंजिल मिले ना मरघट का पता,जो इस राह में रहते हैं,

मालूम है बस,इश्क में जिस्म से जान जुदा कर जीना कहते हैं.



'रजनी'

Friday, July 8, 2011

कुसूर देनेवाले या दामन को देते हैं

ना मिल पाए मुराद मनचाही , कुसूर देनेवाले या दामन को देते हैं,
अपनी इबादत में ही कोई कमी होगी, ये तोहमत क्यों ख़ुद पर ना लेते हैं . 

Thursday, July 7, 2011

ना सजाना कभी हार फूलों के

ना सजाना कभी हार फूलों के ,दिले दरों दीवार पर लगी तस्वीर में,
मै तो मर कर भी जिंदा रहूँगा सदा ,  तेरे तरीन ताबीर में.  "रजनी "