Monday, June 28, 2010

जोड़ने में मुझे, टूटता नहीं

बिखर कर भी हम ,
हर रोज़ सँवर जाते हैं,

करम है  सांचे की ,
जो जोड़ने में मुझे, टूटता नहीं .

ये आइना भी

कुछ  मेरे मन के दर्पण से ........

अब तो खुद  पे ,इतराना भी नहीं आता  हमें ,
शायद ये आइना भी ,आपका दीवाना हो गया.