Sunday, March 10, 2013

"टकरा कर भी पत्थर से हम टूट ना पाए,
कुछ तो एक ठोकर से ही बिखर जाते हैं. ."

"भूल ना करना डूबने की,
नमी  देखकर आँखों की,
मासूम नहीं अंगार हैं निगाहें,
डूबे तो जलोगे नहीं चटक जाओगे. "
तोड़ जाता है कोई "रजनी ,वादों की डोर को,
कोई वादों की डोर से  ,बंध कर टूट जाता है.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

Tuesday, February 5, 2013

चूर होते हैं शीशे

चूर होते हैं शीशे "रजनी " एक जरा सी छुवन से,
मैंने   टूटते देखे  कई फौलादी घर नादानियों   से |

Friday, February 1, 2013

डूबने का डर भी

गहराई तक जाना है, और डूबने का डर भी ,
शौक इतना काफी है , फ़ना होने के वास्ते .

Wednesday, January 30, 2013

चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में

" रुक गया सैलाब का पानी ,हवा के एक झोंका से,
 "रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "

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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है



Sunday, March 4, 2012

रह गए तन्हा

वो गए मयखाने जिन्हें मय की प्यास थी,
रह गए तन्हा "रजनी" निगाहों की प्यास में |

Saturday, February 25, 2012

कैसे पत्थर को, लोग खुदा कर देते हैं

आ रही है समझ में  हर बात   परस्तिश  की "रजनी",
कैसे पत्थर    को,  लोग      खुदा     कर   देते  हैं |