कैसे दुहरायें अब वो बीता दौर हम,नहीं लिख पाएंगे दास्ताँ अपनी और हम,
जब भी शुरू किया तुझे लाना पन्नो में,कभी हाथों ने,कभी आँखों ने साथ छोड़ दिया.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर".
जब भी शुरू किया तुझे लाना पन्नो में,कभी हाथों ने,कभी आँखों ने साथ छोड़ दिया.
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर".
बहुत खूब!
ReplyDeletehardik aabhar sameer ji .........yun hi sneh milta rahe
ReplyDeletewah...
ReplyDeletesukriya Anand ji..........
ReplyDeleteAah! Kitna dard simat aaya hai is rachana me!
ReplyDeleteवाह बहुत खूब कहा .......
ReplyDeletehardik aabhar aap sabhi ki ...........
ReplyDeletekshma ji dard bhi man ki abhivykti hai .....