जब ख्वाब सजाये थे तुम्हें पाने के,अरमान मेरे संवरे से थे,
आज मिटटी सा बिखर गए हम "रजनी ' तुम्हें पाने के बाद .
"रजनी '
आज मिटटी सा बिखर गए हम "रजनी ' तुम्हें पाने के बाद .
"रजनी '
मै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मैंने अपनी कलम से कुछ शेर शायरी भी रचे हैं जिनमे हास्य, शेर शायरी भी शामिल हैं ...ये ब्लॉग मेरे द्वारा रचित शेर शायरी से सम्बन्धित है ,मेरे आशा को एक मुकाम मिल जायेगा ,यदि आपसबका स्नेह मिलता रहा.....
Ye panktiyan bhi gazab hain!
ReplyDeletesukriya kshma ji aap bhi mujhe lagan se padhti hain , man ka hausla bulandi se milta hai.
ReplyDeletenice lines Rajni ji ...............
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