Saturday, July 10, 2010

कोई बेगुनाही का सबूत ला पाता नहीं

shayri .............

"मेरे मन के मोम को न देखा किसी ने,
शायद,तभी तो ,इस पत्थर को झरना बना दिया "

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किसी के भोली सूरत पर ना मरना,
अक्सर सबब बन जाते हैं यही बर्बादी के .

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जिनकी हरख़ुशी मांगी मैंने हर दुआ में,
उन्होंने कज़ा की फरमान सुना दी,
दुआ भी माँगा मेरे लिए तो कब ,
जब मै आखिरी सांसे ले रहा था.

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क़त्ल करके छूट जाता है आसानी से कोई ,
कोई बेगुनाही का सबूत ला पाता नहीं ,"


"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

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