Monday, September 19, 2011

मै वो गरीब हूँ

चंद क्षण भी ना मांगना तेरे दिए गए प्यार से ,
सूदखोर साहूकार जैसे ब्याज मांगता है ,
मै वो गरीब हूँ,
जिसके पास तेरा दिया ,
मूल भी कम है, ब्याज कैसे दूँ मै.

रजनी"

14 comments:

  1. बेहतरीन...क्या खूब रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  2. बहुत खूब ... जब मूल ही नहीं तो ब्याज कैसा ...

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  3. अरे,आपने तो गागर में सागर भर दिया,बहुत उम्दा.

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  4. बेहतरीन अंदाज़ और खूबसूरत अलफ़ाज़ !
    मेरी ओर से कृपया शुभकामनायें स्वीकार करें

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  5. bahut gehri baat likhi hai Rajni ... log dete to thoda hain ...badle mein maangte jyada hain...

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  6. Vah Rajani ji kya khoob likha hai badhai ... halaki yh rachana mere samane der se aayee fir durust.... thanks.

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  7. बेहतरीन प्रस्तुति रजनी जी !

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