हमसे ना पूछो इस राह को क्या कहते हैं,
मंजिल मिले ना मरघट का पता,जो इस राह में रहते हैं,
मालूम है बस,इश्क में जिस्म से जान जुदा कर जीना कहते हैं.
'रजनी'
Saturday, July 9, 2011
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मै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मैंने अपनी कलम से कुछ शेर शायरी भी रचे हैं जिनमे हास्य, शेर शायरी भी शामिल हैं ...ये ब्लॉग मेरे द्वारा रचित शेर शायरी से सम्बन्धित है ,मेरे आशा को एक मुकाम मिल जायेगा ,यदि आपसबका स्नेह मिलता रहा.....
bahut sahi kaha rajni ji.
ReplyDeletesukriya shalini ji........... jo anubhav me aaya wahi likha hai
ReplyDeleteमुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
ReplyDeleteआज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
hardik aabhar dinesh ji par aajkal barsat me net kaam nahi kar raha jiske karan blog par nahi aa pa rahi...
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