" वो गूल कभी जो गुलशन में ,खिल खिल कर मुस्काते थे,
आज ख़ुद के कुचले जाने पर ,वो रह मौन अश्क बहाते हैं .
आज भूल गया उसका माली जो जीवनभर का रखवाला था ,
हाय कैसी पीड़ा को गुलों ने,ये अपने अंदर पाला था.
"रजनी "
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बहुत भावनात्मक प्रस्तुति रजनी जी.आभार
ReplyDeletehardik aabhar aapko bhi shalini ji...........
ReplyDeleteBehad khoobsoorat!
ReplyDeleteVery Nice Rajniji
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