कितना सव्छ्न्द है ये सपना ,
किसी भी पलकों पर अपना घर बना लेता है,
मिले ना मिले मंजिल ,
बस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
Sunday, April 11, 2010
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मै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मैंने अपनी कलम से कुछ शेर शायरी भी रचे हैं जिनमे हास्य, शेर शायरी भी शामिल हैं ...ये ब्लॉग मेरे द्वारा रचित शेर शायरी से सम्बन्धित है ,मेरे आशा को एक मुकाम मिल जायेगा ,यदि आपसबका स्नेह मिलता रहा.....
sapne to palkon ke tale apna sansaar banate hain, aur kisi shayar kee zindagi ka aadhar ban jate hain....
ReplyDeleteअपनेपन की अभिव्यक्ति । रचना प्रशंसनीय ।
ReplyDeletekitna vistrit sapna
ReplyDeletehardik naman hai aap sabka
ReplyDeleteरचना प्रशंसनीय ।
ReplyDeletekabile taareef
ReplyDeleteANILSONI045@GMAIL.COM
ReplyDeleteAntim pankti samajh nahi payi...! Bata saktin hain iska arth?
ReplyDeleteबस कर आबाद से निगाहों में फ़ना बना देता है .
ReplyDeleteइसका माने आसान है ,फना बना देता है मतलब बर्बाद, खत्म