Wednesday, January 30, 2013

चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में

" रुक गया सैलाब का पानी ,हवा के एक झोंका से,
 "रजनी" तेरे शहर का हाल क्या है लहरों से बयाँ है "

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चौंक कर लगा जागने , बूढ़ा ख़्वाब हर आहट में ,
नींद से यूँ जागना , जीने को ये मर्ज़ भी अच्छा है



4 comments:

  1. आपकी पोस्ट 31 - 01- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें ।
    --

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  2. --- विश्रिन्खलित शब्द- स्थितियां है...
    १-झोंका की बजाय...झोंके होना चाहिए...
    २. सैलाब ..ही काफी है ...पानी कहने की आवश्यकता नहीं है...
    ३. अब लहरें कहाँ से आगईं ..

    ---कौन जागने लगा---ख्व्वाब ?... वे कब सोते-जागते हैं..

    ---------- मूलतः कविता के लिए शब्दों के सही अर्थ, भावों की स्पष्टता एवं प्रस्तुति के स्थान का ख्याल रखना बहुत आवश्यक है..... सिर्फ कोई भी कथ्य कविता नहीं होता ...

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