आ रही है समझ में हर बात परस्तिश की "रजनी",
कैसे पत्थर को, लोग खुदा कर देते हैं |
कैसे पत्थर को, लोग खुदा कर देते हैं |
मै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मैंने अपनी कलम से कुछ शेर शायरी भी रचे हैं जिनमे हास्य, शेर शायरी भी शामिल हैं ...ये ब्लॉग मेरे द्वारा रचित शेर शायरी से सम्बन्धित है ,मेरे आशा को एक मुकाम मिल जायेगा ,यदि आपसबका स्नेह मिलता रहा.....
खूबसूरत पंक्तियां।
ReplyDeletesukriya sir....
ReplyDeleteये इंतिहा है ... पत्थर को खुदा ऐसे ही नहीं आना देते ... लाजवाब शेर ..
ReplyDeleteबहुत अच्छा शेर !
ReplyDeleteयही जमाने का दस्तूर है।
tahedil se sukriya nasva ji.........Mahendra ji......
ReplyDeleteअच्छी फुटकर शैर कही है .
ReplyDeleteSISTER, VERY GOOD.
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