Friday, August 19, 2011

वो गूल कभी जो गुलशन में ,खिल खिल कर मुस्काते थे

" वो गूल कभी जो गुलशन में ,खिल खिल कर मुस्काते थे,
आज ख़ुद के कुचले जाने पर ,वो रह मौन अश्क बहाते हैं .

आज भूल गया उसका माली जो जीवनभर का रखवाला था ,
हाय कैसी पीड़ा को गुलों ने,ये अपने अंदर पाला था.
"रजनी "

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