"मेरा शहर छोड़ जाने की बात करते हैं वो,
दिल में बसे हैं वहाँ से कैसे जायेंगे.
लगी ठोकर मुझे, बिखर जाउंगी ,
कहते हैं शीशा ,फिर ठोकर कैसे लगायेंगे.
दिल में बसे हैं वहाँ से कैसे जायेंगे.
लगी ठोकर मुझे, बिखर जाउंगी ,
कहते हैं शीशा ,फिर ठोकर कैसे लगायेंगे.
kya baat hai
ReplyDeletesukriya mam bahut din ke baad aapka sneh mila.
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeletebaut sundar Rajni jee, bahut sundar rachna hai aapki
ReplyDeletesukriya sagar ji yun hi sneh se hausala badhate rahen
ReplyDeletekya baat kya baat kya baat
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