"चांदनी बनी स्याह रात, रह गई अधूरी रजनी" हर बात,
छूटा कस्ती साहिल का साथ,बन गया बादिया ,यहाँ फसल-ए -गूल."
छूटा कस्ती साहिल का साथ,बन गया बादिया ,यहाँ फसल-ए -गूल."
मै रजनी मल्होत्रा विवाह के बाद नैय्यर झारखण्ड के बोकारो थर्मल से. मैंने अपनी कलम से कुछ शेर शायरी भी रचे हैं जिनमे हास्य, शेर शायरी भी शामिल हैं ...ये ब्लॉग मेरे द्वारा रचित शेर शायरी से सम्बन्धित है ,मेरे आशा को एक मुकाम मिल जायेगा ,यदि आपसबका स्नेह मिलता रहा.....
Nihayat sundar!
ReplyDeletehardik sukriya kshma ji .......... ye sneh bana rahe
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