Wednesday, June 22, 2011

खामोश लबों को जुबान दे दी, मचलते निगाहों को उफान दे दी.

खामोश लबों को जुबान दे दी, मचलते निगाहों को उफान दे दी.
पत्थराई चेहरे को मुस्कान दे दी, कटे परों को उड़ान दे दी.
जिसने भी माँगा भरपूर उसे दिया,अपनी खुशियों की जहान दे दी.

2 comments:

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  2. अगर इसे ऐसे कहते तो -
    खामोश लबों को जुबान दे दी , झुकी नि‍गाहों को, शान दे दी
    पत्‍थराये चेहरे को, मुस्‍कान दे दी ,कटे परों को उड़ान दे दी
    दि‍ल जो भरा मोहब्‍बत से मेरा, जि‍स ति‍स को खुशि‍यां तमाम दे दीं।
    क्‍योंकि‍ आपके वाक्‍य सामान्‍यरूप से ही वाक्‍य संरचना, लि‍न्‍ग, वचन आदि‍ की दृष्‍टि‍ से सही नहीं हैं।

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