Friday, April 29, 2011

तुम्हारा स्पर्श पाकर , रौशनी और भी चमकीली हो गयी है.

आज भी यादें देती है पहरा,
जो साँझ के आगोश में ,
बीते थे साथ ,

वो पहली किरण के हाथों,
तेरा सन्देशा लाना,
और ये कहना ,

तुम्हारा स्पर्श पाकर ,
रौशनी और भी
चमकीली हो गयी है.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

2 comments:

  1. रौशनी और भी चमकीली हो गयी है...इस अनूठी रचना के लिए बधाई स्वीकारें
    नीरज

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  2. दोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )

    श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

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