Wednesday, October 27, 2010

इबादत से अनजान था मै

"तेरी करम हुई या सितम मुझ पर,
इबादत से अनजान था मै,
खुदा से रंजिश रखनेवाले को ,
फकीर कर डाला ".

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

Sunday, October 24, 2010

इतना आसां नहीं घर का बन पाना

ईंट पत्थरो से मकान बना करते हैं  ,
इतना आसां नहीं घर का बन पाना,
वो तो रहनेवालो के ज़ज्बातों से बनता है.

"रजनी "

Wednesday, October 20, 2010

भूलने में मुझे जमाने लग जायेंगे

भूलने में मुझे जमाने लग जायेंगे,
चाहो तो आजमा कर देख लो.

आपके घर के हर ईट में बस गयी,
चाहो तो ईंटों से बुलवा कर देख लो.

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"

Wednesday, October 13, 2010

नहीं लिख पाएंगे दास्ताँ अपनी और हम

कैसे दुहरायें अब वो बीता दौर हम,नहीं लिख पाएंगे दास्ताँ अपनी और हम,
जब भी शुरू किया तुझे लाना पन्नो में,कभी हाथों ने,कभी आँखों ने साथ छोड़ दिया.

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर".

Tuesday, October 12, 2010

परछाइयों से वफ़ा करता है वो

"परछाइयों से वफ़ा करता है वो,जो साथ ही नहीं, ये बात उसे समझाए कौन,
एक शुकून होगा उसे,मुझे भूल जाने में, पर भूल से अपनी सांसे छुड़ाए कौन."

रजनी नैय्यर मल्होत्रा

Saturday, October 2, 2010

पलकें भिगाई है मैंने आज फिजाओं की

" पलकें भिगाई है मैंने आज फिजाओं की , ख़ुद देर तलक रोने के बाद,
नफ़स(आत्मा) ना निकले कभी जिस्म से ,हर दुआ में थी यही  फरियाद ."

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर"